Old Pension Scheme: हमारे देश में पिछले कुछ वर्षों से पुरानी पेंशन योजना (Old Pension Scheme – OPS) को लेकर गहन बहस चल रही है। सरकारी कर्मचारियों से लेकर राजनीतिक दलों तक में इस मुद्दे पर चर्चा होती रहती है, क्योंकि यह सीधे तौर पर करोड़ों कर्मचारियों की वित्तीय सुरक्षा से जुड़ा हुआ है। वर्ष 2004 में पुरानी पेंशन योजना को बंद करके नेशनल पेंशन सिस्टम (National Pension System – NPS) लागू किया गया था, लेकिन अब कई राज्य सरकारें इसे फिर से लागू करने पर विचार कर रही हैं।
पुरानी पेंशन योजना (OPS) क्या थी?
पुरानी पेंशन योजना एक Defined Benefit (निश्चित लाभ) पेंशन प्रणाली थी, जिसके तहत सरकारी कर्मचारियों को रिटायरमेंट के बाद उनके अंतिम वेतन का 50% पेंशन के रूप में मिलता था। इसके अलावा, महंगाई भत्ता (DA) भी समय-समय पर बढ़ाया जाता था। इस योजना की सबसे बड़ी खासियत यह थी कि कर्मचारियों को अपनी सैलरी से कोई योगदान नहीं देना पड़ता था और पूरी जिम्मेदारी सरकार की होती थी।
हालांकि, यह प्रणाली “Pay As You Go” (PAYG) पर आधारित थी, यानी वर्तमान कर्मचारियों के टैक्स से रिटायर कर्मचारियों की पेंशन का भुगतान किया जाता था। समय के साथ यह सरकार के लिए वित्तीय बोझ बन गई, जिसके कारण 2004 में इसे बदलकर NPS लागू किया गया।
नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) कैसे काम करता है?
NPS एक Defined Contribution (निश्चित योगदान) आधारित पेंशन प्रणाली है, जिसमें कर्मचारी और सरकार दोनों मिलकर पेंशन फंड में योगदान देते हैं। इसमें कर्मचारी को अपने बेसिक वेतन और महंगाई भत्ते का 10% योगदान देना होता है, जबकि सरकार भी 14% तक का योगदान देती है। इस फंड को बाजार में निवेश किया जाता है और रिटायरमेंट के बाद पेंशन की राशि निवेश के रिटर्न पर निर्भर करती है।
OPS और NPS में मुख्य अंतर
पैरामीटर | पुरानी पेंशन योजना (OPS) | नई पेंशन योजना (NPS) |
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योगदान | कर्मचारी को कोई योगदान नहीं देना होता | कर्मचारी और सरकार दोनों योगदान करते हैं |
जोखिम | सरकार पर पूरा जोखिम | बाजार के उतार-चढ़ाव पर निर्भर |
पेंशन राशि | अंतिम वेतन का 50% निश्चित | निवेश के रिटर्न पर निर्भर |
वित्तीय भार | सरकार पर अधिक दबाव | सरकार और कर्मचारी दोनों साझेदार |
किन राज्यों ने पुरानी पेंशन योजना को बहाल किया है?
हाल के वर्षों में कई राज्य सरकारों ने OPS को फिर से लागू करने का फैसला किया है। इनमें शामिल हैं:
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छत्तीसगढ़ – 2022 में भूपेश बघेल सरकार ने OPS बहाल किया।
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राजस्थान – अशोक गहलोत सरकार ने 2022 में घोषणा की।
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झारखंड – हेमंत सोरेन सरकार ने 2023 में लागू किया।
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पंजाब – भगवंत मान सरकार ने 2022 में OPS बहाल किया।
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हिमाचल प्रदेश – सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार ने 2023 में घोषणा की।
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कर्नाटक – कांग्रेस सरकार ने 2025 में OPS लागू करने का निर्णय लिया।
इन राज्यों का तर्क है कि OPS सरकारी कर्मचारियों को वित्तीय सुरक्षा प्रदान करता है, जबकि केंद्र सरकार और कुछ अर्थशास्त्रियों का मानना है कि यह दीर्घकालिक रूप से सरकारी वित्त पर बोझ डाल सकता है।
यूनिफाइड पेंशन स्कीम (UPS) क्या है?
केंद्र सरकार ने 2024 में यूनिफाइड पेंशन स्कीम (Unified Pension Scheme – UPS) की घोषणा की, जो OPS और NPS के बीच एक मध्यमार्ग प्रदान करती है। इस योजना के प्रमुख बिंदु हैं:
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यह 1 अप्रैल 2025 से लागू होगी।
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लगभग 23 लाख केंद्रीय कर्मचारियों को लाभ मिलेगा।
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इसमें निश्चित पेंशन और बाजार-आधारित रिटर्न दोनों का मिश्रण होगा।
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विशेष परिस्थितियों में OPS का विकल्प
केंद्र सरकार ने हाल ही में एक सर्कुलर जारी करके कहा है कि यदि किसी NPS कर्मचारी की सेवा के दौरान मृत्यु हो जाती है या वह अक्षम हो जाता है, तो उसके परिवार को OPS का विकल्प चुनने का अधिकार होगा। इसके लिए फॉर्म-1 और फॉर्म-2 भरकर जमा करना होगा।
पुरानी पेंशन योजना के पक्ष और विपक्ष
पक्ष में तर्क:
✔ कर्मचारियों को निश्चित पेंशन मिलती है।
✔ महंगाई के साथ पेंशन बढ़ती है।
✔ सेवानिवृत्ति के बाद वित्तीय सुरक्षा मिलती है।
विपक्ष में तर्क:
✖ सरकार पर वित्तीय दबाव बढ़ता है।
✖ भविष्य में टिकाऊ नहीं हो सकता।
✖ युवा पीढ़ी पर अतिरिक्त टैक्स का बोझ।
भविष्य की संभावनाएं
आने वाले समय में कई राज्यों में OPS को लेकर राजनीतिक बहस तेज हो सकती है, खासकर महाराष्ट्र और हरियाणा जैसे राज्यों में जहां विधानसभा चुनाव नजदीक हैं। कर्मचारी संघ लगातार OPS को पूरी तरह बहाल करने की मांग कर रहे हैं, जबकि सरकारें वित्तीय स्थिरता को ध्यान में रखते हुए नए विकल्पों पर विचार कर रही हैं।
सरकारी कर्मचारियों के लिए सुझाव:
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अपनी पेंशन योजना का चुनाव सोच-समझकर करें।
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NPS में अतिरिक्त निवेश करके बेहतर रिटर्न पाने की कोशिश करें।
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सरकारी नियमों में होने वाले बदलावों पर नजर रखें।
निष्कर्ष:
पुरानी पेंशन योजना और नई पेंशन योजना दोनों के अपने फायदे और नुकसान हैं। जहां OPS कर्मचारियों को सुरक्षा देती है, वहीं NPS सरकार के वित्तीय बोझ को कम करता है। आने वाले समय में यूनिफाइड पेंशन स्कीम एक संतुलित विकल्प साबित हो सकती है। कर्मचारियों को चाहिए कि वे अपनी वित्तीय योजना बनाते समय इन सभी पहलुओं को ध्यान में रखें।
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